Refollium बायोटिन (Biotin)
शरीर को कुछ न्यूट्रीएंट्स या पोषक पदार्थों को ऊर्जा में बदलने के लिए बायोटिन की आवश्यकता पड़ती है। ये बालों, स्किन और नाखूनों को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है।
अगर शरीर में बायोटिन की कमी हो जाए तो, हेयर लॉस या स्किन पर लाल चकत्ते पड़ने की समस्या हो सकती है। इसकी कमी से नाखून में कमजोरी आने जैसी समस्या भी हो सकती है। हालांकि, इसकी कमी के मामले बिरले ही होते हैं।
ज्यादातर मामलों में, भोजन से मिलने वाली बायोटिन से ही इंसान का काम चल जाता है। लेकिन अगर किसी को पर्याप्त बायोटिन नहीं मिल रहा है तो उसे हेयर लॉस, स्किन से पपड़ी उखड़ने और लाल चकत्ते पड़ने, डैंड्रफ या रूसी की समस्या होने की संभावना हो सकती है।
मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करता है
बायोटिन, इंसान के मेटाबॉलिज्म को हेल्दी रखने में मदद करता है। बायोटिन कार्बोहाइड्रेट में मौजूद ग्लूकोज को ऊर्जा में बदल देता है। इसके अलावा अमीनो एसिड्स की मात्रा को बढ़ाने में भी मदद करता है। इससे शरीर के सामान्य कामकाज को बेहतर बनाए रखने में मदद मिलती है।
अच्छे फैट यानी एचडीएल (HDL) कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। बुरे फैट यानी एलडीएल (LDL) कॉलेस्ट्रॉल में कमी लाता है।
क्या बायोटिन बालों के झड़ने को रोकने में मदद करता है?
बालों में केराटिन प्रोटीन के उत्पादन को बढ़ाता है और हेयर फॉलिकल के विकास की दर को बढ़ाता है।
केराटिन प्रोटीन एक प्रकार का प्रोटीन है जो बालों, त्वचा और नाखूनों को बनाता है, और यहां तक कि आंतरिक अंगों में भी पाया जाता है।
यह बालों की सुरक्षा और मरम्मत में एक बड़ी भूमिका निभाता है। हमारे बाल 90% से अधिक प्रोटीन से बने होते हैं। बाल पचास अलग-अलग प्रकार के प्रोटीन से बनते हैं, लेकिन केराटिन प्रमुख है - और यह आपके हेयर स्ट्रैंड्स को बनाने के लिए ओवरलैप करने वाली कोशिकाओं की परतों को चिकना करके आपके बालों के शाफ्ट को रोजमर्रा के तनाव से बचाने के लिए जिम्मेदार है ,जिससे बाल शाइनी, हेल्थी, स्मूथ और फ्रिज़-फ्री दिखते हैं।
केराटिन के नुकसान का क्या कारण है? कई कारकों के कारण केराटिन समय के साथ समाप्त हो जाता है:
1.) हीट स्टाइलिंग (जो बालों की आंतरिक संरचना को बदल सकती है और फ्रिजनेस बढ़ा सकती है)
2.) रासायनिक क्षति (जैसे ब्लीचिंग, जिससे बालों की बाहरी परतों पर क्यूटिकल्स का टूटना और नुकसान हो सकता है, जिससे बाल बेहद शुष्क, उलझे हुए और आसानी से टूटने लगते हैं)
3.) पर्यावरणीय कारक जैसे हवा, सूरज और प्रदूषकों के संपर्क में आना।